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Varanasi me Ghumne ki Jagah: भारत के उत्तरप्रदेश राज्य में गंगा नदी के किनारे स्तिथ वाराणसी एक ऐसा खूबसूरत पर्यटन स्थल है जो हिंदुओं के लिए एक पवित्र और खास तीर्थ स्थलों में से एक है। अगर आप वाराणसी घूमने जा रहे है तो आपको जरूर यह देखने को मिलेगा की ज्यादातर कई लोग यहां मुक्ति और शुद्धिकरण के लिए आते हैं। हिंदू धर्म के लिए वाराणसी सात पवित्र स्थानों में से एक मुख्य स्थल है। 

वाराणसी को बनारस या काशी के नाम से भी जाना जाता है। लोगों का मानना यह है कि वाराणसी का स्थापना स्वयं महादेव ने किए थे। इस शहर को भारत का धार्मिक राजधानी के रूप में माना जाता है। वाराणसी अपने धार्मिक वास्तुकला और ढेर सारे मंदिरों और घाट के लिए भी प्रसिद्ध है, जैसे कि काशी विश्वनाथ मंदिर, मणिकर्णिका घाट , तुलसी मानस मंदिर , राम नगर किला , दरभाग घाट और भी बहुत कुछ मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहां आप शानदार किले भी देख सकते हैं जहां आप राजाओं और रानियों की जीवनशैली के बारे में पता चलता है।

बनारस की सभी चराहों पर कम से कम आपको एक ना एक मंदिर देखने को जरूर मिलेगा। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह वह स्थान है जहाँ तुलसीदास जैसे प्रसिद्ध भारतीय लेखकों ने यहां राम चरित मानस लिखा था। इसका मतलब वनारस भारत के उन शहरों में से एक है जो कई प्राचीन इतिहास को समेटा हुआ है। यह शहर ज्यादातर सोने और चांदी के धागे के काम, लकड़ी की खिलौने, कांच की चूड़ियों और विभिन्न प्रकार का हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है।
अस्सी घाट, अस्वमेघ घाट यहां के सबसे प्रसिद्ध घाट हैं। बनारस मंदिरों के लिए तो जाना ही जाता हैं, इसके अलावा यहां के लोग खाने पीने के बहुत ही ज्यादा शौकीन हैं।

काशी मंदिर 
यदि आप बनारस घूमने आए और काशी मंदिर न घूमे तो आपका वाराणसी घूमने आना बेकार हो जाएगा। बनारस आने वाले सभी लोग सबसे पहले बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन करने के लिए जाते हैं। काशी हिंदू मंदिर हिंदुओं का प्रसिद्ध मंदिर हैं।

मंदिर के अंदर भगवान शिव की बड़ी प्रतिमा स्थापित हैं। यह मंदिर शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक हैं। मंदिर में प्रतिदिन हजारों की संख्या में दर्शन करने के लिए आते हैं।काशी विश्वनाथ मंदिर गंगा के पास में स्थित हैं।

भक्त पवित्र गंगा में स्नान करने के बाद काशी मंदिर में दर्शन करने के लिए जाते हैं। भक्तो का मानना है की गंगा में स्नान करने में बाद शिव के दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। मंदिर में यदि आप दर्शन करना चाहते है.तो आपको से सुबह ही लाइन लगानी होगी तभी आपको काशी बाबा के दर्शन प्राप्त हो पायेंगे। काशी विश्वनाथ मंदिर सुबह 4 बजे खुलता हैं

वाराणसी का अस्सी घाट
बनारस में कुल 84 घाट बने हुए हैं। इन 84 घाटों में सबसे प्रमुख अस्सी घाट हैं। अस्सी घाट की उत्ताप्ति गंगा और अस्सी घाट के संगम से हुई हैं। अस्सी घाट के किनारे कई सारे मंदिर बने हुए हैं। यही पर बाबा जग्गनाथ का मंदिर भी बना हुआ है, जो की काफी फेमस हैं।
प्रत्येक वर्ष इस जगह पर मेले का आयोजन किया जाता हैं। बनारस घूमने आने पर आप अस्सी घाट जरूर आए। यहां पर शाम के समय गंगा आरती की जाती हैं। इस आरती में शामिल होने के लिए भक्तो की काफी भीड़ लगी रहती हैं।

वाराणसी का भारत माता मंदिर
इस मंदिर को भारत माता मंदिर के नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि इसमें आपको भारत से संबंधित सभी जानकारी यहां मिल जाएगी। भारत माता मंदिर काशी विद्या पीठ में ही हैं। इसका निर्माण शिव प्रसाद गुप्ता और उदघाटन महात्मा गांधी जी ने किया था। मंदिर के अंदर जाने पर आपको भारत की संपूर्ण संकृति जानने को मिलेगी।
यहां की सबसे खास बात की इसमें भारत के नक्शा है, जो की सफेद संगमरमर को काट कर बनाया गया हैं। इसके साथ की यदि आप पुस्तके पढ़ने रुचि रखते हैं, तो आप यहां पर पुस्तके आदि भी पढ़ सकते हैं। वाराणसी के घूमने आने पर इस मंदिर में जरूर आए।

आलमगीर मस्जिद
आलमगीर मस्जिद सुरम्य परिवेश के बीच एक ऐतिहासिक मस्जिद है। स्थापत्य कला की उत्कृष्ट भारतीय-इस्लामी शैली जो 17वीं शताब्दी की है। इसमें सुंदर गंगा नदी की मनोरम पृष्ठभूमि है। औरंगजेब ने विष्णु मंदिर को तोड़कर इस मस्जिद का निर्माण करवाया था। 
पंचगंगा घाट के ऊपर स्थित, आपको मस्जिद तक पहुँचने के लिए एक लंबा संकरा रास्ता चढ़ना होगा। ऊपर से गंगा नदी का नजारा अद्भुत होता है, खासकर शाम के समय। बेनी माधव का दरेरा के रूप में भी जाना जाता है, इसकी मीनारों और ऊंचे गुंबदों के साथ मस्जिद के देहाती बाहरी हिस्से हड़ताली हैं। मस्जिद के प्रांगण में एक छोटा तालाब और फव्वारा है।

मणिकर्णिका
वाराणसी में यह अद्वितीय 'बर्निंग घाट' है जो निर्माण और विनाश दोनों की प्रक्रिया का प्रतीक है। यह हिंदुओं के अंतिम संस्कार के लिए सबसे शुभ स्थान माना जाता है। चंदन की लकड़ी सहित जलाऊ लकड़ी के बड़े ढेर यहाँ ढेर हैं। अंत्येष्टि की तैयारियों के रूप में व्यस्त गतिविधि को देखना विस्मयकारी है। इस घाट के अहाते में एक तालाब है जिसे मणिकर्णिका कूप के नाम से जाना जाता है।
 संगमरमर में स्थापित भगवान विष्णु के चरण पादुका को कुएं और घाट के बीच रखा गया है। कुंड की दीवारों को लोक कला के रूप में ज्वलंत रंगों से चित्रित किया गया है, जिसमें पीठासीन देवी, मणिकर्णिका देवी का चित्रण किया गया है, जो तीर्थयात्रियों को यहां स्नान करने और पूजा करने के लिए बुलाती हैं। भगवान गणेश को समर्पित एक छोटा सा मंदिर भी है।

निष्कर्ष
हमने अपने आज के इस महत्वपूर्ण लेख में आप सभी लोगों को वाराणसी में घूमने की जगह (Varanasi Me Ghumne ki Jagah) से संबंधित विस्तार पूर्वक से जानकारी प्रदान की हुई है और हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई आज की महत्वपूर्ण जानकारी आपके लिए काफी ज्यादा यूज़फुल और हेल्पफुल साबित हुई होगी। आपको वाराणसी घूमने में और वहां तक पहुंचने में हमारा यह लेख पूरी सहायता करेगा।

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