क्यों मनाई जाती है शब-ए-बारात, जानें क्या है खास #sultanajme

क्यों मनाई जाती है शब-ए-बारात, जानें क्या है खास

आज देशभर में शब-ए-बारात मनाया जा रहा हैं। होली के साथ देशभर में शब-ए-बरआत का त्योहार मनाया जा रहा है। शब-ए-बारात मुसलमान समुदाय के लोगों के लिए इबादत और फजीलत की रात होती है। मुस्लिम समुदाय में ये त्यौहार बेहद खास माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन अल्लाह की रहमतें बरसती हैं।





  • मुसलमानों को ऐसी धारणा है कि अगर इंसान शब-ए-बारात की रात शिदक/सच्चे दिल से अल्लाह की इबादत करते हुए अपने गुनाहों से तौबा की जाए तो अल्लाह उसके हर गुनाह को माफ कर देता है. ये पर्व शाबान महीने की 14वीं तारीख को सूर्यास्त के बाद शुरू होकर 15वीं तारीख की शाम तक मनाई जाती है.

लखनऊ: शब-ए-बारात मुसलमानों के त्यौंहारों में से एक बड़ा आला दर्जे का त्यौहार है. मुसलमानों को ऐसी धारणा है कि अगर इंसान शब-ए-बारात की रात शिदक/सच्चे दिल से अल्लाह की इबादत करते हुए अपने गुनाहों से तौबा की जाए तो अल्लाह उसके हर गुनाह को माफ कर देता है. ये पर्व शाबान महीने की 14वीं तारीख को सूर्यास्त के बाद शुरू होकर 15वीं तारीख की शाम तक मनाई जाती है. इस्लामिक मान्यताओं में भरोसा रखने वालों का ऐसा मानना है, कि अगर इस रात सच्चे दिल से अल्लाह की इबादत की जाए और अपने गुनाहों से तौबा की जाए तो अल्लाह इंसान को हर गुनाह से बरी करता है या मगफिरत देता है. इस बार ये पर्व 6 मार्च की शाम से शुरू होकर 7 मार्च की शाम तक मनाई जाएगी.

List of Gurudwaras in Lucknow. Gurudwaras in Lucknow best place.

इतना खास क्यों है शब-ए-बारात?

शब-ए-बारात की रात दुनिया से विदा हो चुके लोगों की कब्रों पर जाकर उनके हक में मगफिरत/माफिर की दुआ की जाती है. मान्यताओं अनुसार इस रात को पाप और पुण्य के फैसले होते हैं. ऐसा माना जाता है क इस दिन अल्लाह अपने बंदों के कर्मों का लेखा जोखा करता है और कई सारे लोगों को नरक यानि दोजख/जहन्नम से आजाद भी कर देता है. इसी वजह से मुस्लिम लोग इस पर्व वाले दिन रात भर जागकर अल्लाह की इबादत करते हैं. इस्लामिक मान्यताओं अनुसार इस रात को अगर सच्चे दिल से अल्लाह की इबादत करते हुए अपने गुनाहों से तौबा की जाए तो अल्लाह इंसान के हर गुनाह को माफ कर देता है.

इस दिन गरीबों में इमदाद/दान करने की परंपरा है. इस दिन मुस्लिम लोग मस्जिदों में और कब्रिस्तानों में इबादत के लिये जाते हैं. इसके साथ ही घरों को सजाया जाता है और लोग पूरी रात अल्लाह की इबादत करते हुए बिताते हैं. इस दिन लोग नमाज पढ़ने के साथ अल्लाह से अपने पिछले साल हुए गुनाहों की माफी मांगते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन अल्लाह कई सारी रुहों को जहुन्नम से आजाद करते हैं. 

best momos in lucknow. best place in lucknow for Momos. 

रोजा रखने की फजीलत

इस रात को पूरी तरह इबादत में गुजारने की परंपरा है। बरकत वाली इस रात में हर जरूरी और सालभर तक होने वाले काम का फैसला किया जाता है और यह तमाम काम फरिश्तों को सौंपा जाता है। मुसलिम समुदाय के कुछ लोग शब-ए-बारात के अगले दिन रोजा भी रखते है। इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि रोजा रखने से इंसान के पिछली शब-ए-बारात से इस शब-ए-बारात तक के सभी गुनाहों से माफी मिल जाती है।

शबे बरात में कौन सी तस्वीर पढ़ी जाती है?

सलातुल तस्बीह की नमाज पढ़ने से गुनाह ए कबीरा व गुनाह शगीरा जैसे गुनाहों की माफी मिलती है। हम मुसलमानों को शबे रात की रात में सलातुल तस्बीह की नमाज़ जरूर पढ़नी चाहिए। यह त्यौहार इस्लामी माह शाबान की 14वीं रात मगरिब की नमाज़ के साथ ही शुरू हो जाएगा।

शबे बरात की फातिहा कैसे करें?

सबसे पहले तीन या पांच या सात बार दुरुद शरीफ पढ़ें, फिर जो कुरआन शरीफ की सूरतें याद हों उनमें से जो चाहे पढ़ें,
  1. फिर सुरः काफिरुन एक बार पढ़ें यानी क़ुल या अव्यूहल काफिरुन। 
  2. फिर एक बार सुरः फातिहा पढ़ें- यानी अल हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन। 

शब ए बारात में किसकी फ़ातिहा होती है?

हजरत अब्दुल्लह बिन उमर रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया, 'पंद्रहवीं शबान की रात में अल्लाह अपने बंदों की मगफिरत (गुनाहों की माफी) फरमाते हैं सिवाए दो तरह के लोगों के। ' शब-ए-बारात के दिन कई लोग रोजा भी रखते हैं लेकिन उलेमाओं में इसे लेकर अलग-अलग राय है।



एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ